Late Sharad Yadav

शरद यादव (Late Sharad Yadav)

Late Sharad Yadav
Late Sharad Yadav
  • भारत की एक राजनीतिक पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। उन्होंने बिहार प्रदेश के मधेपुरा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से चार बार लोक सभा का प्रतिनिधित्व किया था, दो बार मध्यप्रदेश के जबलपुर से सांसद चुने गये थे, एक बार उत्तर प्रदेश के बदायूं से लोकसभा के लिए चुने गए और शरद यादव संभवतः भारत के पहले ऐसे राजनेता हैं जो तीन राज्यों मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार से लोकसभा के सदस्य के लिए चुने गए थे।
  • शरद यादव राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के संयोजक थे परन्तु उनकी पार्टी द्वारा गठबंधन से सम्बन्ध विच्छेद कर लेने के कारण उन्होंने संयोजक पद से त्याग पत्र दे दिया। राजनीतिक गठजोड़ के माहिर खिलाड़ी शरद यादव को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का राजनीतिक गुरु माना जाता है|
  • पूर्व केंद्रीय मंत्री और जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव का आज उनके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार होगा। उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए दिल्ली में रखा गया है, जहां तमाम राजनीतिक दिग्गजों और शरद यादव के चाहने वालों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। आज उनके पार्थिव शरीर को दिल्ली से मध्यप्रदेश ले जाया जाएगा, जहां उनका अंतिम संस्कार होगा।
 
वर्ष ग्रहित पद
1974 पांचवीं लोकसभा उप-चुनाव में चुने गए
1977 छठी लोक सभा (द्वितीय कार्यकाल) में फिर से निर्वाचित, अध्यक्ष-युवा जनता दल
1978 महासचिव – लोक दल, अध्यक्ष-युवा लोक दल
1986 राज्यसभा में चुने गए
1989 9वीं लोक सभा (तीसरी अवधि) में चुने गए
1989-97 महासचिव-जनता दल, अध्यक्ष-जनता दल संसदीय बोर्ड
1989-90 केंद्रीय कैबिनेट मंत्री – कपड़ा और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग
1991 10 वीं लोकसभा (चौथी अवधि) के लिए फिर से निर्वाचित; सदस्य, लोक लेखा समिति
1993 नेता, जनता दल संसदीय पार्टी
1995 कार्यकारी अध्यक्ष, जनता दल
1996 11 वीं लोकसभा (5 वीं अवधि) के लिए फिर से निर्वाचित; अध्यक्ष, वित्त समिति
1997 अध्यक्ष, जनता दल
1999 13 वीं लोकसभा (6 वीं अवधि) के लिए फिर से निर्वाचित; लालू प्रसाद यादव को हराया
13 अक्टूबर 1999 – 31 अगस्त 2001 केंद्रीय कैबिनेट मंत्री – नागरिक उड्डयन
1 सितम्बर 2001 – 30 जून 2002 केंद्रीय कैबिनेट मंत्री – श्रम
1 जुलाई 2002 – 15 मई 2004 केंद्रीय कैबिनेट मंत्री – उपभोक्ता मामले मंत्री, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री
2004 राज्य सभा के लिए फिर से निर्वाचित (द्वितीय कार्यकाल); सदस्य-व्यापार सलाहकार समिति, सदस्य-जल संसाधन समिति, सदस्य-सामान्य प्रयोजन समिति, सदस्य-सलाहकार समिति, गृह मंत्रालय
2009 15 वीं लोकसभा (7 वीं अवधि) के लिए फिर से निर्वाचित
31 अगस्त. 2009 अध्यक्ष, शहरी विकास समिति
2014 राज्य सभा के लिए फिर से निर्वाचित (तीसरी अवधि)

इस बीच, शरद यादव का एक पुराना इंटरव्यू खूब वायरल हो रहा है। इसमें वह 1991 में हुए लोकसभा चुनाव का जिक्र कर रहे हैं। शरद यादव ने इस इंटरव्यू में एक आईएएस अफसर का जिक्र किया और आरोप लगाया कि उनकी वजह से ही वह चुनाव हार गए।

आइए जानते हैं कि 1991 का पूरा वाकया क्या था?

1991 में अपनी चुनावी हार के लिए एक IAS अफसर सूर्य प्रताप सिंह को जिम्मेदार मानते थे शरद यादव
  • समाजवादी आंदोलन के जरिए अपनी अलग छवि बना चुके शरद यादव ने 1989 में उत्तर प्रदेश के बदायूं लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी। तब वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने शरद यादव को कपड़ा और खाद्य प्रसंस्करण विभाग का कैबिनेट मंत्री बनाया। इसके बाद 1991 में फिर चुनाव हुए। शरद यादव बदायूं से फिर मैदान में थे। उनके सामने भारतीय जनता पार्टी ने स्वामी चिन्मयानंद को प्रत्याशी बनाया। इस चुनाव में शरद यादव हार गए थे। इस हार की कहानी उन्होंने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में बताई थी।
  • शरद यादव ने इस हार के लिए बदायूं के तत्कालीन डीएम सूर्य प्रताप सिंह को जिम्मेदार ठहराया था। शरद यादव ने इंटरव्यू में कहा था, ‘1991 चुनाव के दौरान मेरा कोई कार्यक्रम होने नहीं दिया गया। वो कलेक्टर जो वहां थे, वह राजपूत थे। उन्होंने कहा कि यहां दंगा हो जाएगा। बहुत मुश्किल में पड़ जाएंगे। तो वीपी सिंह जी मेरे प्रोग्राम में नहीं आए।’ शरद यादव ने कहा, ‘सूर्य नाम का एक कलेक्टर था। अभी यूपी का कुछ होगा। मैं हारता नहीं। उसने मुस्लिम मोहल्ले में लाठीचार्ज कर दिया। मैं हारा नहीं… हराया गया। उसने वोटिंग वाले दिन बड़े पैमाने पर मुस्लिम इलाके में लाठीचार्ज कर दिया।’
कौन हैं सूर्य प्रताप सिंह?

बुलंदशहर में जन्में सूर्य प्रताप सिंह 1982 बैच के आईएएस अफसर रहे हैं। अब रिटायर हो चुके हैं। सूर्य प्रताप सिंह ने बॉटनी से एमएससी और एग्रो इकोनॉमिक्स से पीएचडी की है। वह कई जिलों के जिलाधिकारी के कमिशनर और प्रमुख सचिव तक के पदों पर रह चुके हैं। केंद्र में मोदी और प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद से सूर्य प्रताप सिंह लगातार चर्चा में रहे हैं। वह सरकार की नीतियों के खिलाफ काफी मुखर होकर बोलते हैं। सूर्य प्रताप सिंह ने सरकार पर कई तरह के आरोप लगाए हैं। लोगों को गुमराह करने और झूठ फैलाने के आरोप में सूर्य प्रताप सिंह पर एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है।

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